अर्थ : देवनागिरी लिपि में य,र,ल,व- ये चारों वर्ण जो कि स्पर्श तथा उष्म वर्णों के बीच में होते हैं।
उदाहरण :
अंतस्थ वर्ण का उच्चारण स्वर और व्यंजन के मध्य होता है।
पर्यायवाची : अंतस्थ, अंतस्थ वर्ण, अन्तस्थ, अर्धस्वर वर्ण, ईषत्सपृष्ट वर्ण