अर्थ : छठी शताब्दी में वाराहमिहिर द्वारा संस्कृत में रचित एक विश्वकोश जो अपने महान संकलन के लिये प्रसिद्ध है और जिसमें मानव रुचि के विविध विषयों, जैसे - खगोलशास्त्र, ग्रहों की गति, ग्रहण, वर्षा, बादल, वास्तुशास्त्र, फसलों की वृद्धि, इत्रनिर्माण, लग्न, पारिवारिक संबन्ध, रत्न, मोती एवं कर्मकांडों पर लिखा गया है।
उदाहरण :
बृहत्संहिता में एक सौ छः अध्याय हैं।