అర్థం : नदी, जलाशय, वर्षा आदि से मिलने वाला वह द्रव पदार्थ जो पीने, नहाने, खेत आदि सींचने के काम आता है।
ఉదాహరణ :
जल ही जीवन का आधार है।
పర్యాయపదాలు : अंध, अंबु, अंभ, अक्षित, अन्ध, अपक, अम्बु, अर्ण, अस्र, आब, इरा, उदक, उदक्, ऋत, कांड, काण्ड, कीलाल, घनरस, घनसार, जल, तपोजा, तामर, तोय, दहनाराति, धरुण, नलिन, नार, नीर, नीवर, पय, पानी, पुष्कर, योनि, रेतस्, वसु, वाज, वारि, शबर, शवर, शवल, सलिल, सवल
ఇతర భాషల్లోకి అనువాదం :
നദി, ജലാശയം, മഴ തുടങ്ങിയവ കൊണ്ടു കിട്ടുന്ന ജല സമ്പത്തുകൊണ്ടു കുടി, കുളി, വയല് തുടങ്ങിയവയിലെ ആവശ്യങ്ങള് നിറവേരുന്നു.
വെള്ളം ജീവന്റെ ആധാരമാണു്.అర్థం : एक सृष्टिनाशक हिन्दू देवता।
ఉదాహరణ :
शंकर की पूजा लिंग के रूप में प्रचलित है।
పర్యాయపదాలు : अंड, अंधकारि, अंबरीष, अक्षतवीर्य, अक्षमाली, अघोरनाथ, अण्ड, अनंगरि, अनंगारि, अनर्थनाशी, अन्नपति, अपराधभंजन, अबलाबल, अब्जवाहन, अमृतवपु, अमोघदंड, अमोघदण्ड, अम्बरीष, अयोनि, अयोनिज, अरिंदम, अर्घेश्वर, अस्थिमाली, अहिमाली, आशुतोष, इंदुशेखर, इन्दुशेखर, उग्रधन्वा, उमाकांत, उमाकान्त, उमेश, कपालपाणि, कपाली, कामारि, कालेश, काशीनाथ, कील, कुंड, कुण्ड, कैलाश नाथ, कैलाशनाथ, गंगाधर, गिरिनाथ, गिरीश, गौरीश, चंद्रशेखर, चन्द्रशेखर, जगद्योनि, जटाधारी, जटामाली, तारकेश्वर, त्रिनेत्र, त्रिपुरांतक, त्रिपुरारि, त्रिपुरारी, त्र्यंबक, त्र्यक्ष, त्र्यम्बक, दुष्काल, देवाधिदेव, देवेश्वर, धूम्र, नंदिकेश्वर, नदीधर, नन्दिकेश्वर, नपराजित, नागी, नाभ, नीलग्रीव, पंचमुख, पंचानन, पञ्चमुख, परंजय, पश, पशुपति, पादभुज, पार्श्ववक्त्र, पिनाकपाणि, पिनाकी, पुद्गल, फाल, बीजवाहन, भगाली, भव, भवेश, भालचंद्र, भालचन्द्र, भुवनेश, भूतचारी, भूतनाथ, भूतेश, भोला, भोलानाथ, भोलेनाथ, मंगलेश, महाक्रोध, महादेव, महार्णव, महेश, महेश्वर, मृत्युंजय, यमेश्वर, ययातीश्वर, ययी, योगीनाथ, योगीश, राकेश, रुद्र, वरेश्वर, वसुप्रद, विद्वत्, विभु, विरुपाक्ष, विरोचन, विश्वनाथ, वीरेश, वीरेश्वर, वृषभकेतु, वैद्यनाथ, व्योमकेश, शंकर, शंभु, शङ्कर, शम्भु, शशिधर, शशिभूषण, शारंगपाणि, शारंगपानि, शिखंडी, शिखण्डी, शिव, संवत्सर, सतीश, सद्य, सर्पमाली, सर्व, सुप्रतीक, सुहृद, स्नेहन, हर
ఇతర భాషల్లోకి అనువాదం :
త్రిమూర్తులలో మూడు కన్నులుగలవాడు
శంకరుని పూజ లింగరూపంలో ప్రాచుర్యంలో ఉందిಸೃಷ್ಠಿಯನ್ನು ನಾಶ ಮಾಡುವ ಹಿಂದು ದೇವರು
ಲಿಂಗದ ರೂಪದಲ್ಲಿರು ಶಂಕರನನ್ನೂ ಪೂಜೆ ಮಾಡುವ ಆಚರಣೆ ಇದೆ.സൃഷ്ടി സംഹാരകനായ ഹിന്ദു ദേവന്
ശിവന്റെ പൂജ ലിംഗരൂപത്തിലാണ് പ്രചരിച്ചിരിക്കുന്നത്