अर्थ : मस्तक के अंदर का वह गुप्त छिद्र जिसमें से होकर प्राण निकलने से ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है।
उदाहरण :
ऐसा कहा जाता है कि ऋषि-मुनियों के प्राण ब्रह्मरंध से निकलते हैं।
पर्यायवाची : दशम द्वार, दशमद्वार, ब्रह्मरन्ध्र, ब्रह्मांड द्वार